हरियाली तीज 2024: सखी संग सावन की झूले और खुशियाँ

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हरियाली तीज, एक खास त्योहार है जो हर साल सावन के महीने में मनाया जाता है। यह त्योहार विशेष रूप से महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण होता है और यह भारतीय संस्कृति और परंपरा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। हरियाली तीज 2024 इस साल 7 अगस्त को मनाई जाएगी, और इसके साथ ही मनाए जाने वाले इस पर्व की खुशियाँ और झूले पूरी तरह से सावन की हरी-भरी हवा के संग झूम उठेंगे।

हरियाली तीज का महत्व

हरियाली तीज, हिंदू कैलेंडर के अनुसार सावन महीने के तीसरे दिन मनाया जाता है। यह त्योहार खासतौर पर उत्तर भारत के राज्यों जैसे कि उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, और राजस्थान में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन महिलाएं अपने मायके जाती हैं और अपनी बहनों, दोस्तों, और रिश्तेदारों के साथ मिलकर इस पर्व का आनंद उठाती हैं। इसे एक तरह से सखी-भाईचारे का त्योहार भी माना जाता है।

इस दिन महिलाएं हरियाली, झूला, और पूजा-अर्चना के माध्यम से इस पर्व को मनाती हैं। मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा का विशेष महत्व है। इस दिन पूजा करने से महिलाओं की सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य, और पति-पत्नी के रिश्ते में स्नेह बढ़ता है।

हरियाली तीज की तैयारी में क्या-क्या शामिल होता है?

हरियाली तीज की तैयारी पूरे परिवार के लिए एक खास अवसर होती है। इस दिन घर को सजाने के लिए हरी चादरें, फूलों की मालाएं, और रंग-बिरंगे दीपक सजाए जाते हैं। महिलाएं इस दिन हरियाली के प्रतीक के रूप में हरे रंग के कपड़े पहनती हैं और अपने हाथों में मेहंदी लगाती हैं। सजावट में हरी बेलें, झूले, और हरियाली की खास सजावट की जाती है जो पूरे वातावरण को हरा-भरा और मनमोहक बना देती है।

झूला झूलने की परंपरा

हरियाली तीज पर झूला झूलना इस पर्व का एक अनिवार्य हिस्सा है। झूला झूलना, जिसे “झूला त्योहार” भी कहा जाता है, इस दिन की खासियत है। महिलाएं सुंदर-सुंदर झूलों पर बैठकर गाने और गीत गाकर इस त्योहार की खुशी को बढ़ाती हैं। झूलों को हरियाली से सजाया जाता है और महिलाएं आनंद के साथ इस पर झूलकर अपनी खुशी का इज़हार करती हैं। यह परंपरा केवल खुशी ही नहीं बल्कि आत्मा की शांति और सुकून भी देती है।

हरियाली तीज पर विशेष पूजा और अर्चना का क्या महत्व है?

हरियाली तीज के दिन महिलाएं विशेष रूप से भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। पूजा में व्रति महिलाएं व्रत रखती हैं और उपवासी रहती हैं। पूजा के समय, विशेष रूप से हरियाली की पत्तियों और फूलों की मदद से सजावट की जाती है। इस दिन महिलाएं गहरी भक्ति और श्रद्धा के साथ पूजा करती हैं और भगवान शिव से परिवार की खुशहाली और सुख-समृद्धि की प्रार्थना करती हैं।

हरियाली तीज पर पकवान

हरियाली तीज पर विशेष पकवान भी बनाए जाते हैं। इस दिन महिलाएं विभिन्न प्रकार के मीठे और नमकीन व्यंजन बनाती हैं। खासकर, “सौवां”, “पलाज़ा”, “नमक के लड्डू”, और “कचौरी” जैसे पारंपरिक पकवान इस दिन की खासियत होते हैं। ये पकवान घर के सभी लोगों और सखियों के साथ बांटे जाते हैं, जिससे एक दूसरे के साथ स्नेह और भाईचारे की भावना मजबूत होती है।

हरियाली तीज की छवि

हरियाली तीज की छवि एक हरे-भरे वातावरण, झूलों से लदी हुई छत, और महिलाओं की खुशी से भरी हुई होती है। इस दिन हर तरफ हरियाली की सजावट, रंग-बिरंगे फूल, और आकर्षक दीपक देखने को मिलते हैं। महिलाओं की हंसी-खुशी, सजावट, और विशेष पूजा की तस्वीरें इस पर्व की सुंदरता को बढ़ाती हैं। सोशल मीडिया पर इस दिन की शुभकामनाएं, तस्वीरे, और विशेज़ वायरल होते हैं, जो हरियाली तीज की खुशियों को और भी बढ़ा देते हैं।

हरियाली तीज का समकालीन समाज पर क्या प्रभाव है?

आज के आधुनिक युग में भी हरियाली तीज की महत्ता और परंपरा बरकरार है। लोग इस त्योहार को मनाने के लिए अपनी पारंपरिक प्रथाओं को निभाते हैं और नई पीढ़ी को इस पर्व की खुशियों और महत्व से अवगत कराते हैं। सोशल मीडिया के माध्यम से इस पर्व की छवियाँ और शुभकामनाएँ साझा की जाती हैं, जिससे हरियाली तीज की धूम-धाम और खुशी को और भी व्यापक रूप से फैलाया जाता है।

हरियाली तीज, एक ऐसा त्योहार है जो स्नेह, भाईचारे, और खुशी का प्रतीक है। यह दिन हमें अपने पारंपरिक मूल्यों की याद दिलाता है और हमारी सांस्कृतिक धरोहर को संजोने की प्रेरणा देता है। हरियाली तीज 2024 के अवसर पर, आइए हम सभी इस पर्व को अपने परिवार और सखियों के साथ मिलकर खुशी और उल्लास के साथ मनाएं। अपने घरों को हरी-भरी सजावट से सजाएं, झूला झूलें, पूजा-अर्चना करें, और इस त्योहार के आनंद को पूरी तरह से महसूस करें।

हरियाली तीज की शुभकामनाएँ!

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